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Sunday, November 29, 2009

भेडचाल

बदलाव हमारे अन्दर होता है। बदलाव निरंतर है और उससे रोकने का शायद ही को कोई उपाय होगा। पर क्या मैं बदलना चाहूँगा?

कुछ वर्षो पहले तक मुझे कुछ पता नही था की मैं जीवन मैं क्या करना चाहता हूँ, और आज भी मेरे विचार कुछ स्पष्ट नही हुए है। काम करना क्या केवल एक मजबूरी है, या इसमे कोई आर्थिक लाभों के अलावा लाभ है, ऐसे प्रश्न मेरे दिमाग मैं कुछ दिनों से आ रहे है। काम काजी जीवन जैसे जैसे नज़दीक आ रहा है, वैसे ही मैं थोड़ा उससे घबरा भी रहा हूँ।

प्रबंधन का अध्यन भारत मैं कई छात्रों का सपना है, क्योंकि इसमे पैसे अच्छे है और यह आजकल की नई भेडचाल है। पर मेरा अनुभव कह रहा है की आप जिस अवस्था मैं प्रसन्न रहे, वही अच्छी नौकरी है। प्रबन्धन के पश्चात् आपको इतनी म्हणत करनी होगी की वैसे भी आप ४० की उम्र के बाद कुछ करने के योग्य नही रहेंगे।

तो क्या मुझे चाहिए,

अच्छी नौकरी, अच्छी तनख्वाह और एक बड़ा नाम
या फ़िर कुछ अच्छे लोग, कम चिंता वाला काम, और ठीक ठाक तनख्वाह

फिलहाल तो मैं हमेशा की तरग इस असमंजस मैं हूँ की मैं क्या करू, मेरे आजू बाजू हर कोई जरुरत से ज्यादा एकाग्रित है, सबको साबुन तेल बेचना, बेंको मैं जाना, और संगणक उद्योग मैं अपना जीवन बिताना है। मुझे इन सब से कोई लेना देना नही, मुझे कुछ भी चलेगा। पर मेरे लिए सबसे जरुरी चीज़े है,

मेरे आस पास के लोग, एक अच्छा वातावरण, और निश्चित आराम और अन्य रुचिया पूर्ण करना।

पर मुझे फ़िर लगता है कीजीवन मैंने आजतक उस चीज़ को नही चुना जिससे मैं चुनना चाहता था, बलकी उन बातो के पीछे ज्यादा रहा जो भेडचाल का हिस्सा थी।

यह सब बस कुछ विचार है जो चले जायेंगे, मैं फ़िर इन किताबो और अजीबो गरीब काम के चक्कर मैं डूब जाऊँगा, और रह जायेगी यह भेडचाल, जिसका मैं सदेव हिस्सा रहूँगा।

4 comments:

Appy said...

main tumhare khayalon se bilkul sahamat hoon
:)

[Amod] said...

I know this feeling..I'm a part of it. 2nd option ke baare mein aur achche se socho..

Anand said...

good read..

Merely Me said...

After reading this I can say one thing you have penned my feelings here....Excellent Read